ऐ काश कहीं ऐसा होता लिरिक्स
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो
तक़लीफ़ ना होती जीने में
तक़लीफ़ ना होती जीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में…
सच कहतें हैं…
सच कहतें हैं लोग के पीकर
रंज नशा बन जाता है
कोई भी हो रोग ये दिल
दर्द दवा बन जाता है
आग लगी हो इस दिल में तो
आग लगी हो इस दिल में तो
हर्ज़ है क्या फिर पीने में
तो हर्ज़ है क्या फिर पीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो
तक़लीफ़ ना होती जीने में
तक़लीफ़ ना होती जीने में
भूल नहीं सकता ये सदमा
याद हमेशा आएगा
किसी ने ऐसा दर्द दिया जो
बरसों मुझे तड़पाएगा
भर नहीं सकते जख्म ये दिल के
भर नहीं सकते जख्म ये दिल के
कोई साल महीने में
कोई साल महीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो
इक टूट भी जाता इश्क़ में तो
तक़लीफ़ ना होती जीने में
तक़लीफ़ ना होती जीने में
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में…
समाप्त ( End)
बोल ( Lyrics) : आनंद बक्शी
गायक ( Singer) : कुमार सानू