बाबूल का घर छोड़ के लिरिक्स ( कुमार सानू, अलका याग्निक ) सैनिक
हो… ओ…
बाबुल का घर छोड़ के
बेटी पिया के घर चली..
बाबुल का घर छोड़ के
बेटी पिया के घर चली
ये कैसी घड़ी आई है
मिलन है जुदाई है
ये कैसी घड़ी आई है
मिलन है जुदाई है
बाबुल का घर छोड़ के
बेटी पिया के घर चली
ये कैसी घड़ी आई है
मिलन है जुदाई है
मिलन है जुदाई है
बचपन के वो खेल खिलौने
छोड़ के सब जायेगी
वो राजा रानी कि कहानी
याद बहुत आएगी
रो कर भी ममता की कीमत
कैसे चूका पायेगी
बाबुल का घर छोड़ के
बेटी पिया के घर चली
ये कैसी घड़ी आई है
मिलन है जुदाई है
मिलन है जुदाई है
मैका है दो दिन का बसेरा
कौन यहाँ रह पाए
बिन बेटे का बाप भी देखो
बेटी का ब्याह रचाए
रोके रुके ना आंसू कि धारा
आँख छलकती जाए
बाबुल का घर छोड़ के
बेटी पिया के घर चली
ये कैसी घड़ी आई है
मिलन है जुदाई है
ये कैसी घड़ी आई है
मिलन जुदाई है
बाबुल का घर छोड़ के
बेटी पिया के घर चली
ये कैसी घड़ी आई है
मिलन है जुदाई है
मिलन है जुदाई है
मिलन है जुदाई है
मिलन है जुदाई है
समाप्त
बोल : समीर
गायक : कुमार सानू & अलका याग्निक