भजन बिना कोई न जागे रे लिरिक्स
सतगरु जिनका नाम है घट के भीतर धाम
ऐसे दिन दयाल को बार बार प्रणाम
भजन बिना कोई न जागे रे
जनम जनम का पाप करेड़ा
रंग कैसे लागे रे
भजन बिना कोई न जागे रे
संता की संगत करि कोनी भंवरा
भरम कियाँ भाग रे
राम नाम की सार कोनी जानी
रेव बातां में आग रे
भजन बिना कोई न जागे रे…
आ संसार काल वाली गिंडी
टोरा लाग रे
गुरु ग़म चोट सही कोनी जाव
पगा में लाग रे
भजन बिना कोई न जागे रे…
सत सुमरून का सेल बनाले
संता साग रे
नार सूकमणा राड लड़े जद
जमड़ा भागे रे
भजन बिना कोई न जागे रे
नाथ गुलाब सत संगत करली
संता साग रे
भानीनाथ अर्ज कर गाव
सत गरुआं आगे रे
भजन बिना कोई न जागे रे
समाप्त ( End)