खल नायक हूँ मैं ल्य्रिवक्स ( संजय दत्त ) खल नायक
जी हां मैं हूँ खल नायक
नायक नहीं खल नायक है तू
नायक नहीं खल नायक है तू
ज़ुल्मी बड़ा दुःखदायक है तू
इस प्यार की तुझको क्या कदर
इस प्यार के कहाँ लायक है तू
नायक नहीं खल नायक हूँ मैं
नायक नहीं खल नायक हूँ मैं
ज़ुल्मी बड़ा दुःखदायक हूँ मैं
है प्यार क्या मुझको क्या खबर
बस यार नफरत के लायक हूँ मैं
नायक नहीं खल नायक हूँ मैं
तेरी तबियत तो रंगीन है
पर तू मोहब्बत की तौहीन है
हम्म.. कुछ भी नहीं याद इसके सिवा
ना मैं किसीका ना कोई मेरा
जो चीज़ मांगी नहीं वो मिली
करता मैं क्या और बस छीन ली
बस छीन ली…
बस छीन ली…
मैं भी शराफ़त से जीता मगर
मुझको शरीफों से लगता था डर
सबको पता था मैं कमज़ोर हूँ
मैं इसलिए आज कुछ और हूँ
कुछ और हूँ…
कुछ और हूँ…
नायक नहीं खल नायक हूँ मैं
ज़ुल्मी बड़ा दुःखदायक हूँ मैं
है प्यार क्या मुझको क्या खबर
बस यार नफरत के लायक हूँ मैं
नायक नहीं खल नायक है तू
कितने खिलौनों से खेला है तू
अफ़सोस फिर भी अकेला है तू
हम्म.. बच्चपन में लिखी कहानी मेरी
कैसे बदलती जवानी मेरी
सारा समुन्दर मेरे पास है
एक बूँद पानी मेरी प्यास है
मेरी प्यास है…
मेरी प्यास है…
हम्म… हम्म…
देखा था माँ ने कभी प्यार से
अब मिल गयी वो भी संसार से
मैं वो लूटेरा हूँ जो लूट गया
माँ का भी आंचल कहीं छूट गया
आ… .आ…
नायक नहीं खल नायक हूँ मैं
ज़ुल्मी बड़ा दुःखदायक हूँ मैं
है प्यार क्या मुझको क्या खबर
बस यार नफरत के लायक हूँ मैं
नायक नहीं खल नायक है तू
खल नायक हूँ मैं
नायक नहीं
खल नायक हूँ मैं
नायक नहीं
खल नायक हूँ मैं
नायक
खल नायक
नायक
खल नायक
नायक
खल नायक
समाप्त
बोल : आनंद बक्शी
गायक : कविता कृष्णमूर्ति & विनोद राठौड़