चार दिनों दा प्यार ओ रब्बा लिरिक्स
बिछड़े अभी तो हम बस कल परसों
जिऊंगी मैं कैसे इस हाल में बरसों
मौत ना आयी तेरी याद क्यों आयी
हाय लम्बी जुदाई…
चार दिनों दा प्यार ओ रब्बा
बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
होठों पे आयी मेरी जान दुहाई
हाय लम्बी जुदाई
चार दिनों दा प्यार ओ रब्बा
बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
इक तो सजन मेरे पास नहीं रे
दूजे मिलण दी कोई आस नहीं रे
दूजे मिलण दी कोई आस नहीं रे
उसपे ये सावन आया
उसपे ये सावन आया आग लगाई
हाय लम्बी जुदाई
चार दिनों दा प्यार ओ रब्बा
बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
टूटे ज़माने तेरे हाथ निगोड़े, हाथ निगोड़े
जिनसे दिलों के तूने शीशे तोड़े, शीशे तोड़े
हिजरी की ऊँची
हिजरी की ऊँची दीवार बनाई
हाय लम्बी जुदाई
चार दिनों दा प्यार ओ रब्बा
बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
बाग़ उजड़ गए
बाग़ उजड़ गए खिलने से पहले
पंछी बिछड़ गए मिलने से पहले
पंछी बिछड़ गए मिलने से पहले
कोयल की कुक
कोयल की कुक ने हुक उठाई
हाय लम्बी जुदाई
चार दिनों दा प्यार ओ रब्बा
बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
समाप्त
बोल : आनंद बक्शी
गायक : रेशमा