Mahabharat Dohe Lyrics Part – 1


महाभारत के दोहे के लिरिक्स ( भाग 1 )

आँखे देखे मौन मुख सहा कहा नहीं जाए |
लेख विधाता का लिखा कौन किसे समझाए ||

वचन दिया सोचा नहीं होगा क्या परिणाम |
सोच समझ कर कीजिये जीवन में हर काम ||

जीवन को समझा रहा जिया हुआ इतिहास |
जब तक तन में स्वास है तब तक मन में आस ||

आस कह रही स्वास से धीरज धरना सिख |
मांगे बिन मोती मिले मांगे मिले ना भीख ||

शत्रु धराशाही हुए ज्यूँ आंधी के आग |
है ये गंगा पुत्र का पहला ही संग्राम ||

नहीं नहीं होगा नहीं येह भीषण अन्याय |
निति प्रीति संघर्ष में प्राण भले ही जाये ||

चंद्र टरे सूरज टरे डिगे अडिग हिमवंत |
देवव्रत का भीष्मव्रत रहे अखंड अनंत ||

साधन सुख के मन दुखी रही अधूरी साध | 
भूल न पाता मन कभी मनमाना अपराध || 

है अपराधी भावना मृत्यु कामना मूल | 
गया अग्नि रथ रह गए शेष चिता के फूल || 

चली सुरक्षित सैन्य से हर्षित कन्या रत्न | 
प्रिय दर्शन की आस में देखे सुन्दर स्वप्न || 

क्रुद्ध सर्पिनी बन गयी सुन्दर उपवन बेल | 
दोष किसी का क्या भला भाग्ये खिलाये खेल || 

चन्द्रवंश के चंद्र का असमय यह अवसान | 
सिंघासन सुना हुआ राजभवन सुनसान || 

माता यह संभव नहीं भीष्म करे व्रत त्याग | 
चाहे शीतल सूर्य हो बरसे शशि से आग || 

जीवन दाता एक है समदर्शी भगवान
जैसी जिसकी पात्रता वैसा जीवन दान |
तमस रजस सद्रुणवती माता प्रकृति प्रधान 
जैसी जननी भावना वैसी ही संतान || 

सत्यवती की साधना भीष्मवृत्ति का त्याग |
जागे जिनके जतन से भरतवंश के भाग ||  
धीर धुरंधर भीष्म का शिष्य धनुर्धर वीर | 
उदित हुआ फिर चन्द्रमा अन्धकार को चिर || 

दे हंसकर वर को विदा वीर वधु की रीत | 
राजधर्म की नित ये क्षत्राणी की प्रीत || 

दे अशीष ऋषि देव ने तुम्हे सदा वरदान | 
गोद भरे जुग जुग जिए भाग्यवंत संतान || 

सुख दुःख में समरस रहे जीवन वही महान | 
राजभवन या वनगमन दोनों एक समान || 

समय भूमि गोपाल की भूले जब संसार | 
धार सुदर्शन चक्र की हरे भूमि का भार || 

नारी तेरे दुःख में नारायण दुखमंत | 
रो मत तेरी कोक में आएंगे भगवंत || 

समाप्त

बोल : राही मासूम रज़ा 
गायक : महेंद्र कपूर

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