Mahabharat Dohe Lyrics Part – 3

महाभारत दोहे के लिरिक्स ( भाग – 3 )

गुरुकुल गुरुकुल के प्रमुख विद्या बुद्धि निधान |
सद्गुण को ही सुलभ है सद्गुण की पहचान ||

चंद्रवंश पर चल रहे विषधर काले बाण |
त्यागे कुमति कुसंग को जो चाहे कल्याण ||

शिष्य सरल सतपात्र को फलता है गुरुज्ञान
गुरु की राखे आन जो रहे उसी की आन |
ज्ञान दान गुरु से लिया दिया मान सम्मान
गुरुकुल को गौरव दिया शिष्य कृष्ण भगवान ||

नवयुग का आरम्भ है पाञ्चजन्य जयघोष |
नाद सुजन परितोष प्रद दुर्जन के प्रति रोष ||

महाराज है राज के सब युग पुरष महान |
नवयुग का आरम्भ हो है सब आशावान ||

राजकुमारों को निरख हर्षित जन समुदाय |
आज हस्तिनापुर नगर फुल्ला नहीं समाये ||

जाने जो बोले नहीं जो बोले अनजान |
करण सवयं कैसे कहे क्या उसकी पहचान ||

संखनाथ ने कर दिया समारोह का अंत |
अंत कहाँ इस अंत का करुक्षेत्र पर अंत || 

घाव बड़ा अपमान का तड़पे निशदिन प्राण | 
मन माना प्रतिशोद ही उसका करे निदान || 

दिए बिना गुरुदक्षिणा विद्या धन निसार | 
जो औरों की सम्पदा औरों का अधिकार || 

बड़ी प्रीत है मीत की बड़ा प्राण से मीत | 
जो जीते मन मीत का जग लेता वह जीत || 

धर्म कर्म निश्चित करो सुनकर समय पुकार 
जग में आये किसलिए इसका करो विचार | 
स्वार्थ और अधिकार के बिच राखी तलवार 
काट फेंकती है किसे देखे उसकी धार || 

बांच रहे हरी पत्रिका सुनके प्रेम पुकार | 
अक्षर अक्षर देख के खुला प्रेम का द्वार || 

ज्वालामुखी भविष्ये है आशंका में राज | 
चिंता कुल है वीरता वीर विवश है आज || 

अज्ञानी की लालसा कुटिल बुद्धि का का ज्ञान | 
कूटनीति के योग से बनता प्रलय सामान || 

समझ ना पाये पांडुसुत कपट चाल का जाल | 
प्रेम सना विषप्रेम से स्वीकारा तत काल || 

दुर्योधन के हर्ष का रहा ना वारा पार | 
स्वयं जाल में आ फ़सा आज पाण्डुपरिवार || 

जानो प्रथम निकाश को तब गृह करो प्रवेश | 
सोच समझ लो विधुर का युक्ति युक्त आदेश || 

समाप्त 

बोल : राही मासूम रज़ा 
गायक : महेंद्र कपूर 

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