मुसाफिर लिरिक्स
हम्म्… हम्म्… हम्म्…
कैसे, जीऊंगा कैसे बतादे मुझको तेरे बिना
कैसे, जीऊंगा कैसे बतादे मुझको तेरे बिना
तेरा मेरा जहाँ ले चलूँ मैं वहां
कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले रखलूं आँखों में
मैं खोलूं पलकें ना मैं कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले
मैं अंधेरों से घिरा हूँ
आ दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा
मैं भटकता इक मुसाफिर
आ दिला दे तू मुझको बसेरा मेरा… ओ
जागी जागी रातें मेरी रोशन तुझसे है सवेरा
तू ही मेरे जीने की वजह
जब तक हैं ये सांसें मेरी इनपे है सदा हक़ तेरा
पूरी है तुझसे मेरी दुआ
तेरा मेरा जहाँ ले चलूँ मैं वहां
कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले रखलूं आँखों में
मैं खोलूं पलकें ना मैं कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले
मैं अंधेरों से घिरा हूँ
आ दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा
मैं भटकता इक मुसाफिर
आ दिला दे तू मुझको बसेरा मेरा… ओ
आ ओ… आ
कैसे, जिऊंगी कैसे बता दे मुझको तेरे बिना
कैसे, जिऊंगी कैसे बता दे मुझको तेरे बिना
तेरा मेरा जहाँ ले चलूँ मैं वहां
कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले रखलूं आँखों में
मैं खोलूं पलकें ना मैं कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले
मैं अंधेरों से घिरा हूँ
आ दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा
मैं भटकता इक मुसाफिर
आ दिला दे तू मुझको बसेरा मेरा… ओ
हम्म्… हम्म्… हम्म्…
समाप्त ( End)
बोल ( Lyrics) : पलक मुच्छल
गायक ( Singer) : आतिफ असलम & पलक मुच्छल