Pagal Parindey Lyrics In Hindi

पागल परिंदे लिरिक्स 

आ…
ना जमीं मिली ना फलक मिला
है सफर में अँधा परिंदा
जिस राह की मंज़िल नहीं
वही खो गया होके गुमराह

ना जमीं मिली ना फलक मिला
है सफर में अँधा परिंदा
जिस राह की मंज़िल नहीं
वही खो गया होके गुमराह

हवा गाँव की अब भी ढूंढ रही
बेबस आंखें ये धुंधली होती रही
ना बोला कुछ ना कुछ कहा
कोई जाता है क्या इस तरह

ना जमीं मिली ना फलक मिला
है सफर में अँधा परिंदा
जिस राह की मंज़िल नहीं
वही खो गया होके गुमराह

जिन्दान को उड़ान समझ बैठा
इक बारी भी मुड़ के ना देखा
हरे पेड़ों की शाखें छोड़ आया
मासुम को किसने बहकाया

हरियाली वो यादों में आती रही
राहें तकरीरे रोज़ सुनाती रही
ना दुआ मिली ना मिला खुदा
हुआ कैद पागल परिंदा

ना जमीं मिली ना फलक मिला
है सफर में अँधा परिंदा
जिस राह की मंज़िल नहीं
वही खो गया होके गुमराह

जेहन में किसने जहर डाला
रूह पे कहर कर डाला
झूंठी तस्वीर दिखा के मजहब की
कंबख्त इंसा बदल डाला

दोजख की तरफ हाय नादान चली
जन्नत गाँव में थी अच्छी भली
आंखें खुली तो सब दिखा
गुमनाम है ये परिंदा

ना जमीं मिली ना फलक मिला
है सफर में अँधा परिंदा
जिस राह की मंज़िल नहीं
वही खो गया होके गुमराह

समाप्त

बोल : ओज़हील दलाल 
गायक : सुनिधि चौहान 


 

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