राजा भरथरी से अर्ज करे लिरिक्स
राजा भरथरी से अर्ज करे
महलों में खड़ी महाराणी
राज़ पाट तज बन गए जोगी
पिया के मन में ठानी…
नगर उज्जैन के राजा भरथरी हो घोड़े असवार
एक दिन राजा घोर जंगल में खेलण गया शिकार
बिछड़ गए मेरे संग के साथी राजा भये लाचार
किस्मत ने जब करवट बदली छूटा दिए घर बार
अब होण हार टाळी ना टळ
समझ कोनी दुनिया दीवानी
राज़ पाट तज बन गए जोगी
पिया के मन में ठानी…
काळा सा एक मिरग देख कर तीर ताण के मारा
तीर कळेजा चीर गया मृग धरणी पर पड़ा बैचारा
व्याकुल होकर हिरणी बोली ओ पापी हत्यारा
मृग के संग मैं सती होवांगी हिरणी करे रे पुकारा
अब रो रो के फ़रियाद करे
राजा भये अज्ञानी
राज़ पाट तज बन गए जोगी
पिया के मन में ठानी…
राजा जंगल में रुधन कर गुरु गोरख नाथ पधारे
मृग को प्राण दान देव तपशी राजा का जनम सिधारे
उसी समय में राजा भरथरी तन के वस्त्र उतारे
ले गुरु मंत्र बण गया जोगी अंग बभूति रमाई
अब घर घर अलख जगाता फिर
बोल मधुर वाणी
राज़ पाट तज बन गए जोगी
पिया के मन में ठानी…
गुरु गोरख की आज्ञा भरथरी महलों में अलख जगाई
भर मोतियन को थाळ लाई दासी ल्यो जोगी जुग दाता
ना चाहिए तेरा माणंक मोती चूंटी चुन की चाहता
भिक्षा लूंगा जद ड्योढी पर आवेंगी पिंगळा माता
राणी के नैणा नीर ढळे
पिया जी सूरत पिछाणी
राज़ पाट तज बन गए जोगी
पिया के मन में ठानी…
भाग दौड़ कर पति चरणों में लिपट गई महाराणी
बेदर्दी तोहे दया नहीं आयी सुणले मेरी कहानी
बाळी उम्र नादान नाथ मेरी कैसे कटे ज़िंदगानी
पीवजी छोड़ो जोग राज़ करो बोल प्रेम दीवानी
अन्न-धन्न का भण्डार भरया
थे मोज़ करो मनमानी
राज़ पाट तज बन गए जोगी
पिया के मन में ठानी…
धुप छांव की काया माया दुनिया बेहता पाणी
अमर नाम मालिक का रेसी सोच समझ अज्ञानी
भजन करो भव सिंधु तरो यूँ कहता लिखमों ज्ञानी
नई नई रंगत गावे माधोसिंह हवा जमाने की जाणी
राम का भजन करो नर प्यारे
तेरी दो दिन की ज़िंदगानी
राज़ पाट तज बन गए जोगी
पिया के मन में ठानी…
समाप्त ( End)
बोल ( Lyrics) : ट्रैडिशनल
गायक ( Singer) : रतिनाथ जी