Title | Shiv Chalisa |
Album | Chalisa Sangrah |
Lyrics By | Traditional |
Music By | Shekhar Sen |
Singer | Anuradha Paudwal |
शिव चालीसा लिरिक्स ( अनुराधा पौडवाल ) चालीसा संग्रह
जय गणेश गिरिजा सुवन
मंगल मूल सुजान |
कहत अयोध्यादास तुम
देहु अभय वरदान ||
जय गिरिजा पति दीन दयाला |
सदा कर्ट सन्तन प्रतिपाला ||
भाल चंद्रमा सोहत नीके |
कानन कुण्डल नागफनी के ||
अंग गौर शिर गंग बहाये |
मुण्डमाल तन छार लगाये ||
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे |
छवि को देख नाग मुनि मोहे ||
मैना मातु की हवे दुलारी |
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ||
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी |
करत सदा शत्रून क्षयकारी ||
नंदी गणेश सोहे तहँ कैसे |
सागर मध्य कमल हैं जैसे ||
कार्तिक श्याम और गणराऊ |
या छवि को कहि जात न काऊ ||
देवन जबहीं जाय पुकारा |
तब ही दुःख प्रभु आप निवारा ||
किया उपद्रव तारक भारी |
देवन सब मिली तुम्हीं जुहारी ||
तुरत षडानन आप पठायउ |
लावनिमेष महँ मारी गिरायउ ||
आप जलंधर असुर संहारा |
सुयश तुम्हार विदित संसारा ||
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई |
सबहीं कृपा कर लीन बचाई ||
किया तपहिं भागीरथ भारी |
पूरब प्रतीक्षा तासु पुरारी ||
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहिं |
सेवक स्तुति करत सदाहीं ||
वेद माहि महिमा तुम गाई |
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ||
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला |
जरत सुरासुर भए विहाला ||
कीन्ही दया तहँ करी सहाई |
नीलकंठ तब नाम कहाई ||
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा |
जीत के लंक विभीषन दीन्हा ||
सहस कमल में हो रहे धारी |
कीन्ह परीक्षा तबहीं पुरारी ||
एक कमल प्रभु राखेउ जोई |
कमल नयन पूजन चहंसोई ||
कठिन भक्ति देखि प्रभु शंकर |
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ||
जय जय जय अनन्त अविनाशी |
करत कृपा सब के धटवासी ||
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै |
भ्रमत रहौं मोहि आन उबारो ||
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो |
येहि अवसर मोहि आन उबारो ||
मात-पिता भ्राता सब होई |
संकट में पूछत नहिं कोई ||
स्वामी एक है आस तुम्हारी |
आय हरहु मम संकट भारी ||
धन निर्धन को देत सदा होई |
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ||
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी |
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ||
शंकर हो संकट के नाशन |
मंगल कारण विध्न विनाशन ||
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं |
शारद शीश नवावैं ||
नमो नमो जय नमः शिवाय |
सुर ब्रम्हादिक पार न पाय ||
जो यह पाठ करे मन लाई |
ता पर होत है शम्भु सहाई ||
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी |
पाठ करे सो पावन हारी ||
पुत्र होन कर इच्छा जोई |
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ||
पंडित त्रयोदशी को लावे |
ध्यान पूर्वक होम करावे ||
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा |
ताके तन नहीं रहै कलेशा ||
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे |
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ||
जन्म जन्म के पाप नसावे |
अंत धाम शिवपुर में पावे ||
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी |
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ||
नित्त नेम कर प्रातः ही
पाठ करौं चालीसा |
तुम मेरी मनोकामना
पूर्ण करो जगदीश ||मगसर छठि हेमन्त ॠतु
संवत चौसठ जान |
अस्तुति चालीसा शिवहि
पूर्ण कीन कल्याण ||
समाप्त
बोल : ट्रेडिशनल
गायक : अनुराधा पौडवाल