जीवन है अनमोल रे लिरिक्स
पहला भाग ( Part 1 )
सीता राम, सीता राम, सीता राम बोल
राधे श्याम, राधे श्याम, राधे श्याम बोल
काहे प्राणी भटक रहा है…
काहे प्राणी भटक रहा है जीवन है अनमोल रे, सीता राम…
ना कर बन्दे तेरी मेरी जीवन खाक की ढ़ेरी
चार दिनों की चांदनी है और फिर है रात अँधेरी
धर्मराज के आगे तेरे…
धर्मराज के आगे तेरे खुल जायेंगे पोल रे, सीता राम…
माटी के रंगीन खिलोने माटी में मिल जाएगा
आज नहीं तो कल यहाँ पर कर्मो का फल पायेगा
हीरा जनम ना फेर मिलेगा…
हीरा जनम ना फेर मिलेगा कूड़े में ना रोल रे, सीता राम…
साथी खाली हाथ गए है होश तुझे क्यों आये ना
जोड़-जोड़ भर लिए खजाने साथ गयी इक पायी ना
भवसागर के अंदर तेरी…
भवसागर के अंदर तेरी नइया रही है डोल रे, सीता राम…
जिसको समझे यह जग अपना वो एक दर्शन मेला है
अंतकाल पछतायेगा जब जाएगा तू एकेला
सुन्दर तन पे दाग लगाया…
सुन्दर तन पे दाग लगाया मेलि चादर ओढ़ रे, सीता राम…
लाख चोरासी के चक्कर में काहे भटक रहा है
भले बुरे कर्मों की फांसी जिस पे लटक रहा है
सांस सांस पे राम सिमर ले…
सांस सांस पे राम सिमर ले लागे ना कोई मोल रे, सीता राम…
ये माया है आणि जाणी ये जग झूठा सपना
मात-पिता सूत बंधू प्यारे कोई नहीं है अपना
चार भाई शमशान में जाकर…
चार भाई शमशान में जाकर देंगे एकेला छोड़ रे, सीता राम…
चला चली का मेला है यहाँ कोई आये कोई जाये
राजा रंक यहाँ ना कोई ये जग एक सराय
ना जाने किस वक्त कहाँ पर…
ना जाने किस वक्त कहाँ पर काल बाजे ढोल रे, सीता राम…
मुठ्ठी बांधे आया जगत में हाथ पसारे जाएगा
कोठी बंगले महल खजाना यही धरा रह जायेगा
गहरी नींद में सोने वाले…
गहरी नींद में सोने वाले अब तो आँखें खोल रे, सीता राम…
एक पलंग की तरह रे प्राणी तेरी अमर कहानी
पांच लुटेरे लूट रहे हैं तेरी ये ज़िंदगानी
आसमान पे उड़ने वाले…
आसमान पे उड़ने वाले कट जायेगी डोर रे, सीता राम…
पांच तत्व का बना ये पिंजरा जिसका नाम है काया
पंछी रेन बसेरा करता देकर श्वास किराया
एक दिन खाली करना पड़ेगा…
एक दिन खाली करना पड़ेगा ये पिंजरा अनमोल रे, सीता राम…
क्या तू लेने आया जगत में क्या तू लेकर जायेगा
दुर्लभ मानुष जनम रे बन्दे फेर नहीं तू पायेगा
अभिमान में अँधा होकर…
अभिमान में अँधा होकर काहे मचावे शोर रे, सीता राम…
बन के हंस तू मोती चुगले जीवन सफल बना ले
राम नाम अमृत फल पाकर अपना आप बचा ले
लाख चौरासी चक्कर में क्यों…
लाख चौरासी चक्कर में क्यों फिरता डावां डोल रे, सीता राम…
माँ के गर्भ में लटक रहा था वादा खूब किया रे
विषय विकारो की आंधी में वादा भूल गया रे
जकड़ जंजीरो से ले जाये…
जकड़ जंजीरो से ले जाये बन के जाय चोर रे, सीता राम…
कर्म बही के अंदर चाहे हेरा फेरी कर ले
दुनिया भर के खाते चाहे अपने नाम तू करले
सच्चे मालिक के आगे तू…
सच्चे मालिक के आगे तू कुछ ना सकेगा बोल रे, सीता राम…
देख दिए की भांति तेरी बाती बुझ जाएगी
काल तूफा के आगे तेरी हस्ती मिट जाएगी
रहा ना कुछ भी बस में तेरे…
रहा ना कुछ भी बस में तेरे प्रभु से नाता जोड़ ले, सीता राम…
अब तो नाम सिमर ले प्राणी समय ये बित रहा है
ना कोई बंधू सखा है तेरा ना कोई मीत रहा है
दूर किनारा सब ने किया है…
दूर किनारा सब ने किया है दिया एकेला छोड़ रे, सीता राम…
सीता राम, सीता राम, सीता राम बोल
राधे श्याम, राधे श्याम, राधे श्याम बोल
काहे प्राणी भटक रहा है…
काहे प्राणी भटक रहा है जीवन है अनमोल रे, सीता राम…
दूसरा भाग ( Part 2 )
सीता राम, सीता राम, सीता राम बोल
राधे श्याम, राधे श्याम, राधे श्याम बोल
काहे प्राणी भटक रहा है…
काहे प्राणी भटक रहा है जीवन है अनमोल रे, सीता राम…
काहे तन का गर्व करे है ये एक दिन जल जायेगा
जैसे जल से गले रे कागज ऐसे तू गल जायेगा
गुरु ज्ञान को गले लगा क्यों…
गुरु ज्ञान को गले लगा क्यों माया रहा बटोर रे, सीता राम…
अब तो नेकी करले बन्दे साथ तेरे जो जाएगी
ये मतलब की दुनिया तेरा कब तक साथ निभाएगी
कुछ तो धर्म कमा ले मुर्ख…
कुछ तो धर्म कमा ले मुर्ख डायन बदी को छोड़ रे, सीता राम…
तुझसे वृक्ष भले है बन्दे देते है जो छायां
पंछी जिसके गोद में सोते फल दे पुण्य कमाया
सबको सुख देते है भइया…
सबको सुख देते है भइया लेते ना कोई मोल रे, सीता राम…
जीवन तो नदियां है और सुख दुःख दो है किनारे
बहती तेज़ धरा के अंदर तुझको अब जीना रे
राम नाम जहाज में चढ़ जा…
राम नाम जहाज में चढ़ जा वृथा मत यूँ डोल रे, सीता राम…
जिस रंग में श्री राम जी रखे उसी में रहना चाहिए
जो कुछ तुझको दिया है उस में शुक्र मनाना चाहिए
ऊपर देखे दुःख घनेरा…
ऊपर देखे दुःख घनेरा निचे सुख की थोर रे, सीता राम…
धन्ना जाट था भक्त निराला पत्थरों को भोग लगाए
तू खोये तो मैं भी खाऊं शाम सवेरे गाए
एक सहारा तेरा दात्ता…
एक सहारा तेरा दात्ता तेरे बिन ना और रे, सीता राम…
नामदेव भक्त निराला राम नाम गुण गाता
जो कुछ दिया प्रभु ने उसको उसी में शुक्र मनाता
स्वान बन भगवान् थे आये…
स्वान बन भगवान् थे आये दर्श किया अनमोल रे, सीता राम…
दुश्शाषण ने द्रोपदी की खींची सभा में साड़ी
चरणों में बस ध्यान लगाकर द्रोपदी ये पुकारी
लाज बचाओ कान्हा मेरी…
लाज बचाओ कान्हा मेरी बार-बार ये बोल रे, सीता राम…
दीन दुखी का दुःख अपनाले होगी नइया पार रे
जो इनको तड़पाएगा ये देंगे नीव उखाड रे
कभी संभल ना पायेगा तू…
कभी संभल ना पायेगा तू करले बात पे गौर रे, सीता राम…
दुखिया तेरे पास खड़ा और पर तूने मोज़ उड़ाई रे
भूखा प्यासा पड़ा पडोसी ना उसकी भूख मिटाई रे
जीवन खुशियों से भर जाए…
जीवन खुशियों से भर जाए उनके आंसू पोंछ रे, सीता राम…
पांच तत्व की बनी कुठरिया ये इक दिन गिर जायेगी
कागज़ की है नइया तेरी पानी में बह जायेगी
अकड़ अकड़ पग धरे धरा पर…
अकड़ अकड़ पग धरे धरा पर चलता मुंछ मरोड़ रे, सीता राम…
जाग मुसाफिर भोर भई क्यों सोता चादर तान के
काल कुठार है होकर आया क्यों होता अंजान रे
काल बलि से बच ना पाये…
काल बलि से बच ना पाये चाहे लगा ले जोर रे, सीता राम…
दुर्लभ मानुष जन्म को पाना बच्चो का कोई खेल नहीं
जन्म जन्म के शुभ कर्मों का होता जब तक मेल नहीं
उत्तम कर्म कमाई करले…
उत्तम कर्म कमाई करले छल कपट को छोड़ रे, सीता राम…
सोने में तो रात गवाई दिन भर करता पाप रहा
इसी तरह बर्बाद रे बन्दे करता अपना आप रहा
बादल बनकर काल गरजता…
बादल बनकर काल गरजता छाई घटा घनघोर रे, सीता राम…
मेरे राम है बड़े दयालु सब कुछ देते जाते
छोटे बड़े का भेद ना करते सबकी भूख मिटाते
शर्मा पिले प्रेम का प्याला…
शर्मा पिले प्रेम का प्याला राम नाम रस घोल रे, सीता राम…
बलवंत तू गुण गाले प्रभु का मुश्किल हल हो जाएगी
झोली फैला कर देख सुरेंद्र खुशियों से भर जाएगी
किसी तरह की कमी ना होगी…
किसी तरह की कमी ना होगी हो जाएगी मोज़ रे, सीता राम…
सीता राम, सीता राम, सीता राम बोल
राधे श्याम, राधे श्याम, राधे श्याम बोल
काहे प्राणी भटक रहा है…
काहे प्राणी भटक रहा है जीवन है अनमोल रे, सीता राम…
समाप्त ( End)
बोल ( Lyrics) : पी.टी कालू राम
गायक ( Singer) : शिव निगम