ज़रूरी था लिरिक्स
लफ्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे
तूने जब आखरी खत मेरा जलाया… होगा
तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे
देने वाला भी तुझे याद तो आया होगा
आ…
तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था
मोहब्बत भी ज़रूरी थी बिछड़ना भी ज़रूरी था
ज़रूरी था की हम दोनों तवाफ़े आरज़ू करते
मगर फिर आरज़ूओं का बिखरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था
बताओं याद है तुमको वो जब दिल को चुराया था
चुराई चीज़ को तुमने खुदा का घर बनाया था
वो जब कहते थे मेरा नाम तुम तस्बीह में पढ़ते हो
मोहब्बत की नमाज़ो को करा करने से डरते हो
मगर अब याद आता है वो बातें थी महज़ बातें
कहीं बातों ही बातों मुकरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था
आ…
वही है सूरतें अपनी वही मैं वही तुम हो
मगर खोया हुआ हूँ मैं मगर तुम भी कहीं गुम हो
मोहब्बत में दगा की थी सो काफिर थे सो काफिर हैं
मिली हैं मंज़िलें फिर भी मुसाफिर थे मुसाफिर हैं
तेरे दिल के निकाले हम कहाँ भटके कहाँ पहुंचे
मगर भटके तो याद आया भटकना भी ज़रूरी था
मोहब्बत भी ज़रूरी थी बिछड़ना भी ज़रूरी था
ज़रूरी था की हम दोनों तवाफ़े आरज़ू करते
मगर फिर आरज़ूओं का बिखरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था
समाप्त ( End)
बोल ( Lyrics) : उस्ताद राहत फ़तेह अली खान
गायक ( Singer) : उस्ताद राहत फ़तेह अली खान